Everything About CELL(II-Protein)

BY Viraj Giri.

हमारे अंदर 2 से दस लाख प्रकार के न जाने कीतने अलग अलग। प्रोटीन्स होते है । और उनसे भी अलग उनकी रचनाएँ ,प्रोटीन अमीनो असीड से बने होते है। और ईस अमीनो असीड्स के भी 22 प्रकार होते है। ईनमें से 21 प्रकार पहले ही मील चुके थे। 22 वा प्रकार “ओहायों स्टेट युनिवर्सिटी में 2002 में संशोधित कीया। फिर भी ईनमें से सिर्फ 20 प्रकार के ही अमीनो असीड्स ईन्सान एव अलग जीवो मे पाये जाते है। यह सब जॉर्ज गामव्ह और वाट्सन क्रीक यह जोडीको एक साथ पर अलग अलग तरह से समझ में आया। 

20 तरह के अमीनो असीड्स के अलग अलग रसायनीक प्रयोग से एक साथ जुडकर जब एक चैन बनती है तब प्रोटीन बनते है। 

पर ईसमे भी एक बात ऐसी है एह अमीनो असीड्स अलग अलग प्रकार के होकर भी एक चैन पर एक साथ कीतने भी प्रकार से जुड सकते है।

​ मानो कीसी अमीनो असीड्स को अगर A,B,C,D…X तरह के नाम दे तो एक चैन पर A,A,A,B,B,A,A,C,D,D,A,B,A,B..ईस तरह के नजाने कितनी सीक्वेन्स बनने पर प्रोटीन बनते है। और ईस तरह से अलग अलग प्रोटीन बनने के लीए अलग अलग सीक्वेन्स आती है। ईस तरह से बहुत सारे काम्बीनेशन्स बनती है। 

​उनमें से कुछ काम्बीनेशन्स में जो सही सीक्वेन्स होती है उन कुछ मेें से ही प्रोटीन बनते है। और ईन  प्रोटीन्स की संख्या भी बहुत है। इन प्रोटीन के रेणुओ की चैन कागज के ओरेगाँमी के खेल की तरह अनेक प्रकार के आकार बन सकते है और हर आकार की तरह उनके गुणधर्म भी अलग अलग होते है। और ईसी वजह से प्रयोगशाला में अमीनो असीड्स भलेही बने हो पर असली सवाल यह था की ईन अमीनो असीड्स की एक एक रचना करके प्रोटीन कैसे बनाएँ और लाखो प्रोटीनों में से ऐसे कोनसे प्रोटीन चुने जीससे जीव की उत्पत्ति हो सके? 

    जैसे की हिमेग्लोबीन ईस प्रोटीन में बीस में से किसी अमीनो असीड्स का एक यूनिट माने तो 146 अमीनो असीड्स के यूनिट एक के बाद एक जोडकर चैन बनने पर प्रोटीन.ईस तरह से अगर 20 अमीनो असीड्स से 146 अलग अलग यूनिट होने वाले प्रोटीन बनाने होंगे तो 10^146 करोड बार अलग अलग प्रकार से हम कर सकते है। और ईतनी भीड में से सिर्फ एक ही हमारा हिमेग्लोबीन होगा। यही कारण था जो केंब्रिज के रसायन वैज्ञानिक मँक्स पेरुटझ् को हिमेग्लोबीन की रेणुओ की रचना समझने में 23 साल लगे। 

     मतलब के गणित के हीसाब से सजीव बनने के लीए खरबो प्रयोग और अरबो सालो का वक्त लगा और तब जाके सजीव बना। 

और नेचर मेें यही हुआ था। पृथ्वी के जन्म के बाद यानी साडे चार अरब साल पहले के बाद जीव बनने के लीए जो प्रोटीन्स लगते है वो सही तरह के अमीनो असीड्स एक साथ आकर प्रोटीन बने होंगे।


fig.Differents types of protein structures.

सजीव यानी सेल बनने के लीए सिर्फ प्रोटीन की ही आवश्यकता नहीं होती हैं प्रोटीन के साथ न्युक्लीक असीड ईसके रेणु,डीएनए ,आरएनए ईनकी भी जरुरत होती है। 

जैसे कोई गाडी का ईंजीन सिर्फ एक पुर्जे के बलबुते पर ही नहीं बन सकता उसके लीए ईंजीन के हर एक पार्ट को सही तरह से फीट होना होता है। वैसे ही सजीव यानी सेल बहुत सारे पुर्जो के एक साथ आने पर बनी । पर यह सब बना तो कैसे बना, कैसे सही पुर्जे सही जगह पर आके एक परफेक्ट सेल बनी यह आश्चर्यजनक था और अब भी है। इसकी खोज अब तक जारी है।

ईसपर वैज्ञानिक तरह तरह के विचार प्रकट कर रहे थे। किसी ने कहा की न्युक्लीक असीड वैगरा जीव बनने के लीए उपयुक्त रेणु, असीड ये कीसी धुमकेतु के द्वारा यहा आए होंगे और वह समंदर में जा मीले… किसीने कहा की हम असलीअत में एलीअन्स है। तो कीसी ने कुछ…पर असलियत अभी भी बाकी है। 

अब वैज्ञानिको ने एक बात पर गौर कीया की हम बाहर कही पृथ्वी पर जीव की शुरुआत कैसे हुही खोजने के बजाय अगर हमारे ही गहराई मे उतर जाए तो क्या होगा। तब वैज्ञानिको ने जीव के अंदर देखने की चाजने की और प्रयोग करने की बात को शुरु कीया यानी की अब वे सेल के अंदर देखकर राज खोलने की कोशिश कीए जा रहे थे। 
 

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