प्रकाश विज्ञान भाग 1

-BY VIRAJGIRI
आज हम बात करते है प्रकाश के बारे में,

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                  हाँ वही प्रकाश जो सुरज से आता है। धरती को रोशन करता है। अँधेरे को मीटाता है। वही प्रकाश जो सबके लीए एक जीवन है। वही प्रकाश जीससे वनस्पति आहार बनाती।जीससे हम अपने हर दीन की शुरुआत भी करते है ।
न जाने कीतनी सदियों से हम ईसे महसूस करते आ रहे है। कोई ईसे प्रकाश कहता है। कोई रोशनी। कोई उर्जा , कोई धुप.
नाम भलेही अलग हो पर है तो एक ही काम भी एक तरह से ही करता है। हमारी पृथ्वी जब नहीं थी तब , विष्व कि निर्मित के वक्त से यह प्रकाश था। मतलब “बींग बैंग से” लेकर बींग क्रंच” तक सदा ईसका अस्तीत्व रहेगा। हम मानव अंत तक यह जरुर रहेगा।  पर कभी कीसीने नहीं सौचा की यह प्रकाश है क्या। प्रकाश कीस से बनता है। आखीर यह कीस से पैदा हुआ है। “कुछ ईन्सानों” के अलावा प्रकाश के बारें मे सोचने की या उससे सवाल पुछने की जरुरत कीसी को न थी।
आज हम यहा पे वही जानेंगे की प्रकाश है क्या? क्यों हमे उसकी जरुरत है। क्यों हम अगर धुप में जादा देर ठहरे तो गरमी लगती है। शरीर का ताप बढता है। ऐसा आखीर उस में है क्या जो हमें उसका एहसास दीलाता है। और यह भी देखेंगै की जीन ईन्सानो ने ईसकी तरफ ध्यान दीया आखीर उन्हे क्या हासील हुआ। उन के बारें में भी पढेंगे जिन्होंने प्रकाश को समझा जाना और जमाने को नई दीशा दी।       
तो हम जानते है यह प्रकाश है क्या?  पहले ईसके स्त्रोत या जहा पर से ईसका अस्तीत्व आया उसके बारे में चर्चा करते है। ईसका स्त्रोत यानीं घर सब को पता है। यानी सुर्य हमारी पृथ्वी पर जो भी प्रकाश आता है। वह हमें सुर्य से ही  मीलता है। सुर्य हमारे पृथ्वी से लगभग  93 करोड मैल। मतलब 150 करोड किलोमीटर  दुर है। फीर भी उससे बनने वाले प्रकाश को यह अंतर कुछ भी नहीं है। वह ईतनी बडी दुरी महज 8 मिनट 20 सेकंद में पुरी करता है। क्यों की प्रकाश की गती दुनिया की सबसे तेज गती है। और दुनीया के महान वैज्ञानिक आईनस्टाईन ने ईसपर अपना नियम भी बनाया है। कि कोई भी वस्तु या कण प्रकाश गती से ज्यादा तेज गती से प्रवास कर ही नहीं सकती।  तो प्रकाश की गती आखीर कीतनीं है ?”  प्रकाश की गती 299 792 458m / s  यानी की  लगभग  299,792 किलोमीटर पर सेकंद, यानीं की 3 लक्ष पर सेकंद “और यह पुरे साल में जीतना दुर सफर करता है। ऊस अंतर को हम प्रकाश वर्ष कहते है। अब हम देखते है के आखीर हमें यह सब पता कैसे चला।
(ईसके लीए आप विज्ञानविश्व का प्रकाश_गती_का_मापण यह लेख भी पढ सकते है। ).
पहीली बार 1676 में डाँनीश अस्ट्रोनोमर “ओल रोमर(1664-1710)“यह पहला आदमी था जीसने प्रकाश के गती को नापा था।
पर प्रकाश आखीर निर्माण कैसे होता है। यह बात तो सबको पता है की सुर्य एक आग का गोला है। पर यह सत्य नहीं है। असल में सुर्य आग का नहीं तो अणुऊर्जा का रुप है। सुर्य जो हँड्रोजन से बना है हँड्रोजन परमाणु के आपस में विलीन हो जानें से यह उर्जा बाहर निकलती है। असल में जब हँड्रोजन परमाणु हेलीअम के परमणु बनते है तब ईस प्रकीयासे गुजरने पर बहुत ऊर्जा निर्माण होती है ।
यह सब सुर्य के केेद्रंक में हरपल होता है। यही उर्जा अवकाश में किंरणो के रुप में फैल जाती है। वही कुछ किरणे जीसे हम प्रकाश कहते है। तो यह प्रकाश ईस तरह से निर्माण होता है।
पर यह प्रकाश है क्या ?
सन 1665 में 23 साल का एक लडका आइजैक न्यटून (Isaac Newton, १६४२-१७२७) प्रकाश की किरणों से कुछ खिलवाड़ कर रहा था. वो घंटो सुर्य की तरफ देखा करता जीसकी वजह से उसके आँखो को परेशानी होती फीर उसे उन आखों को ठीक करणे के लीए दो चार दीन अँधेरे रुम में बंद होना पडता था। ऐक दीन ऐसे ही जब वह अंधेरे रुम में बंद था तो फिर भी उससे रहा ना गया और ऊसने उस रुम के दीवार में एक छेद बनाया। जीस से प्रकाश की किरणे अंदर आ गई उसने देखा की प्रकाश की किरणे अंदर तो आ गई है पर वे अब फैली हुई न थी बल्की एक सीथे एकसमान दीशा में छेद से होकर रुम के अदंर तक आ गई थी उसे आश्चर्य हुआ की सुर्य कीरण आखीर ऐसे कैसे एकसमान दीशा में सीधे गुजर रहे है। फिर उसने उसके पास का एक कांच का लोलक यानी जीसे हम प्रीजम कहते है। वह लिया जीसे न्यूटन कीसी यात्रा से लाया था। जब वो और अपने दोस्त के साथ घूमने गया था तब उसने देखा की एक आदमीं लोलक से प्रकाश गुजार कर अलग अलग रंग निकाल रहा था। उसे वह बहुत पसंद आया और उसने वह खरीद लीए। वह भी बहुत सारा दाम देकर। तो न्युटन को वैसे ही प्रकाश के सात रंग नजर आये ऊसने ऊसपर बहुत से प्रयोग किए और सब लीख कर रखे। न्युटन को पता था की अँरीस्टाटल का मानना था की प्रकाश एकजिनसी है। मतलब प्रकाश का विभाजन नाहीं कीया जा सकता। पर यहा न्युटन नें देखा की प्रकाश जब लोलक से गुजरता है तो थोडा मुड जाता है और उसका सात रंगों मे विभाजन होता है। ईसका मतलब अँरीस्टाटल का विधान गलत था।

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उसने फिर दुसरा और एक लोलक लेकर सात रंगो के सामने यह लोलक ऊल्टा पकडा तो उसे नजर आया की वह सात रंग फिर लोलक में जाकर मुड गए थे ओर अब उनका विभाजन नहीं हुआ था। बल्की वही एक सफेद प्रकाश नजर आने लगा था जो सुर्य से आता है। और थौडे प्रयोग करने के बात न्यूटन ने यह निश्चित किया की प्रकाश
सात रंगो से ही बना है ।

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उसके एक सरे पर लाल रंग था. उसने जैसे-जैसे प्रकाश के पट्टे को एक सीरे से देखना शरू किया तो नारंगी, पीला, हरा, नीला, और बैंगनी रंग दीखे ।
हमारें चारों तरफ रंग ही रंग हैं– अक्सर रंगीन वस्तुओं के रूप में हम उन्हें छू सकते है महससू कर सकते है. परन्तु जो रंग न्यटून ने लोलक से देखें उन्हें छुआ नहीं जा सकता. वो तो प्रकाश के अंदर थे , किसी ठोस वस्तु में नहीं, तमु अपने हाथको रंगीन प्रकाश के आर-पार ले जा सकते हो — उसे लगा की वह कोई भतू हो! न्यटून ने प्रकाश के इस रंगीलेपट्टे को स्पैक्ट्रम कहा जजसका लेटीन में अर्थ होता है — भतू !

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___________प्रकाश में स्थित रंग____________

     आखीर में प्रकाश में ये रंग कहां से आएँ ? न्यटून का सोचना था कि प्रकाश की किरणे जो हमें सफेद दिखाई देती है वह वास्तव में कई रंगों का समिश्र है. जब प्रकाश की किरणे प्रिजम से गजुरती है तो उसमें मौजुद रंग अलग-अलग मात्रा में मड़ु जाते हैं. बैंगणी रंग सबसे ज्यादा मुडता है और लाल रंग सबसे कम।
प्रकाश में मौजुद ईन सभी रंगों के कारण हमें वस्तुएँ दीखती है। उनके रंग समज में आते है।  पर न्युटन को और ऐक प्रश्न नें घेर लिया। आखीर यह प्रकाश किरण बने कीस से है। उसने बहुत विचार के बाद कहा की प्रकाश कीरण प्रकाश के छोटे छोटे कणों से बने है। जब प्रकाश की किरणे तेज होती है तो हमें ईन मेें जो अलग अलग रंग है वह एक ही रंग सफेद में लगते है।  पर सच में ,
वैज्ञानिको को उस समय में पता था की आवाज की लहरे होती है। पर किरणों का कुछ पता नहीं था। उस वक्त के वैज्ञानिकों को न्युटन की प्रकाश के छोटे छोटे कणों वाली बात हजम ना हुई। और फिर लग गए सब ईस काम में एक डच वैज्ञानिक क्रिश्चिन हाईगेंज ने कहा की प्रकाश अगर लोलक से गुजरणे पर मुडता है। तो वह लहरों से बना होगा। क्योंकि रास्ते में आइ रुकावटों में लहर बडी मुश्किल से मुडती है। ईसीलीए प्रकाश की किरणे बहुत सुक्ष्म लहरो से बनीं होंगी ईसीलीए वर रास्तोंमे आइ रुकावटों मे बडी मुश्किल से मुडे। पर उस वक्त के वैज्ञानिक सोच में पड गये की अब साथ कीसका दें एक ने कहा प्रकाश कणों से बना है। दुसरे नें कहा लहरों से। पर दोनों के पास ऐसा कोई सबुत ना था जीससे वह साबित हो सके पर आगे चलकर ये मसला सुलझाया ब्रिटिश वैज्ञानिक थॉमस यंग ने जीसे बहुत विषयों का ज्ञान था ।थॉमस यह भी जानता था की ध्वनि लहरो से बना होता है। और जब दो लहरों एक दुसरे के रास्तें मे आती है तो एक दुसरे को काटती है। थॉमस यंग ने प्रकाश कारणों के साथ कुछ प्रयोग कर के यह साबित कीया की प्रकाश किरण लहरों से बनीं होती है।

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     और वह उन लहरों के चौड़ाई का भी पता लगा सका सका वह करीब एक सेंटीमीटर को अगर 4 या 5 कोटी से विभाजित कर के जो संख्या मिलेगी उतनी थी। मतलब 1/50000ईंच थी ।
ईसी तरह प्रकाश के सभी किरणों की वेव्हलेंथ यानीं लहरलंबाई अलग अलग होती है। यानी लाल रंग के प्रकाश के लहर की लंम्बाई सबसे ज्यादा थी और बैंगणी रंग की सबसे छोटी थी। लहरलम्बाई जीतनी कम होगी लहर उतनी ज्यादा मुडेगी या रीफ्लँक्ट होगी। प्रीजम हर एक लहर के अलग होने के कारण ही प्रकाश के सभी रंगो को अलग कर पाता है।

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  व्रण-क्रम स्पेक्ट्रम के एक तरफ की लाल लहर की लंम्बाई 1/32000ईंच है। उसी दुसरी तरफ बैंगणी लहर की 1/64000 है। बाकी सब रंगो की लहरलम्बाई ईसी तरह ईन दो रंगो के बीच कम कम होती जाती है।
यही कारण है की जब हम आकाश में ईद्रधनुष देखते है। तब वह सीधा ना होकर अर्धगोल दीखता है।

पर हमें ये सभी रंग क्यो दिखाई देते है। क्या प्रकाश में कोई ऐसे रंग या लहर है जो हमारी आँखें ना देख सके?
ईसके लीए हम आँखों की तरफ आते है। और देखते है की ऐसा क्या होता है। की ये आँखें हमें ईस विश्व की सभी सुंदर चीजे दीखाती है।

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            आपनें यह तो पढ़ा ही होगा की हमांरी आँख के अंदर पिछली तरफ एक झिल्ली होती है जीसे रँटीना भी कहते है। ईस रँटीना में ऐसे अलग अलग रसायन होते है। जो प्रकाश में स्थित अलग अलग लम्बाई वाले लहर को सोख लेते हैं। मतलब हर रंग को सोख लेते है। जब रँटीना पर सारे रंग पडते है तो रँटीना के सारे रसायन काम करने लगते है और हमें सफेद रंग नजर आता है। मतलब प्रकाश हमें सफेद रंग का नजर आता है। पर जब हम कीसी एक रंग वाली वस्तु की तरफ देखते है तो वह वस्तु जीस रंग की होगी वह रंह प्रकाश के साथ हमारे रँटीना तक पहुचेगा पर बाकी रंगो से ज्यादा मात्रा में पहुचने के कारण हमें उस वस्तु का रंग समझ आता है। ओर वह वस्तु सफेद नहीं दीखती बल्की उसी रंग की दिखाई देती है जीस रंग की है।
आगे हम देखेंगे। की ईस प्रकाश में कोई और रंग भी है ईन सात रंगो के अलावा, कोई और लहरभी है ईन सभी लहरो के अलावा जो हमने देखी है?
प्रकाश में ताप कहासे आता है? आखीर क्यों हमें गर्मी महसुस होती है ?
और हमने ईस प्रकाश का कीस तरह से अपने जीवन में उपयोग कीया? क्यों धुप ज्यादा होनें से सजीव मर जाते है ? वनस्पती नष्ट होकर रेगीस्तन बनते है।
प्रकाश विज्ञान भाग 1 pdf available here download.

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